Hare Krishna
ॐ परमात्मने नमःॐ गंपतिये नमः
श्री कृष्ण जन्म अष्टमी -परम पावन आत्मिक उत्सव
भगवान् श्री कृष्ण की लीला बड़ी ही न्यारी है भक्तो के बड़े ही प्रेमी है प्रभु भक्तवत्सल है प्रभु, भक्तो की रक्षा ही परम मंत्र है प्रभु का.
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
हरि पालनैं झुलावै
जसोदा हरि पालनैं झुलावै
भवान श्री कृष्ण का जन्म पृथ्वी के लिए एक वरदान है
और यशोदा भी इस दिन को महान मान कर कृष्ण सेवा का लाभ पाती है
यशोदा धन्य है जिसने श्री कृष्ण को पुत्र रूप में पाया और कृष्ण की बाल लीलाव का अवलोकन किया पर श्री कृष्ण माँ यशोदा से बार बार पूछते है माता मेजुहे यह ग्वाल बाल क्यों रिझाते है
दाऊ बहुत खिझायो
मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो
मो सों कहत मोल को लीन्हों
तू जसुमति कब जायो
कहा करौं इहि रिस के मारें
खेलन हौं नहिं जात
पुनि पुनि कहत कौन है
माता को है तेरो तात
गोरे नंद जसोदा गोरी
तू कत स्यामल गात
भगवान् श्री कृष्ण की बाल लीलाए अदभुद है जो यशोदा के मन को मोह लती है
यशोदा कृष्ण के बिना एक पल भी नहीं रह सकती
उसका पुत्र मोह संसारियो के पुत्र प्रेम को परिपूर्ण मात देता है
ब्रह्माण्ड में श्री कृष्ण की बाल लीलाव का प्रत्यक्ष अनुभव मात्र यशोदा ने ही किया
जिस जीव ने माता यशोदा के ह्रदय को जान लिया वह भाव सागर से तर गया
माता यशोदा ने पार परम ब्रह्मा को पुत्र रूप में पाया और उसकी महान सेवा कर उसे कृष्ण बनाया अपने प्रेम व् सेवा भाव से
पुत्र को जन्म देना एक प्राकतिक परिक्रिया है जहा जीव का विशेष प्रभाव नहीं होता पर जन्म के बाद जीव को पाल पोश कर संस्कार देना स्वयं में एक कठिन तपस्या है और यह तपस्या माता यशोदा ने परिपूर्ण निष्ठां से की और मानव जीवन का परिपूर्ण लाभ पाया
इस जन्माष्टमी के पवन पर्व पर माता देवकी व् श्री श्री माता यशोदा को कोटि कोटि नमन
जय श्री कृष्ण जन्माष्टमी
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
श्री राधे कृष्ण जय श्री राधे कृष्ण
Sri Krishna Janmastami is on way, on 23/24th august this year. It is a greatest festival of devotees of lord Krishna.
Lord Krishna was appeared on the planet on this day; it is a birthday of lord Krishna.
5000 years ago it happens on the divine land great India. Mathura is the birthplace of lord Sri Krishna. He was born to mother devika but brought up to the state of Krishna by mother yashoda. Both of them were fortunate to have him as a great son.
Sri vrindavan was the favourite abode of lord Krishna for two reasons one being the beautiful clusters of Tulsi make lord to have his very presence there by and second it is a place more than a divine chapter to perform Raas {live mode of emancipation, absorbed in self and the supreme}, above all it was the abode of Sri Sri Radha ji in a divine mode’s to bring lord Krishna to her divine spirit.
Sri Vrindavan is now a legend of divine love of Sri Sri Radha Rani.
In Saawan the glory of Sri Vrindavan reaches at its top and in Bhadhoo it is divine culture to attain the true wisdom of life from the very dust of Sri Vrindavan,
Sri Vrindavan is not just a divine city; it is an abode of trinity of divine love, Lord Sri Krishna, Sri Sri Tulsi ji and above all Sri Sri Radha Rani Ji.
Just a visit to Sri Vrindavan makes one to earn blessings from all the three divine chapters.
It is an abode of infinite number of true saints and pious souls. Divine River Sri Yamuna passes through this divine junction, wind passes through here reflects the fragrance of divine nectar.
Very dust of Sri Vrindavan makes one to feel about the very presence of divine trinity.
May lord Krishna bless all.
Thanks please.
जय श्री राधे -जय श्री राधे -जय श्री राधे
जय श्री वृन्दावन -जय श्री वृन्दावन -जय श्री वृन्दावन